Friday, November 2, 2018

होम बायर्स के पक्ष में बड़ा फैसला, फ्लैट देने में जितनी देर करेंगे, उतना ज्यादा हर्जाना देंगे बिल्डर्स

राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग (नैशनल कन्ज्यूमर कमीशन) ने इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए कहा है कि अगर फ्लैट आवंटित करने में 'अतार्किक' अवधि तक देरी तो बिल्डर्स 5 रुपये वाले प्रावधान की आड़ लेकर बच नहीं सकते। ऐसी स्थिति में होम बायर्स हर्जाने की रकम बढ़ाने की मांग कर सकते हैं।

घर खरीदते वक्त बिल्डर के साथ साइन किए जानेवाले ज्यादातर समझौता पत्रों में मुआवजे की शर्तों का जिक्र होता है। इनके मुताबिक, अगर बिल्डर प्रॉजेक्ट कंप्लीट करने में देर करे तो उसे 5 रुपये प्रति स्क्वैयर फीट के हिसाब से हर्जाना भरना पड़ता है। हालांकि, अगर प्रॉजेक्ट कंप्लीट होने में बहुत कम देर हुई हो तो हर्जाना माफ किया जा सकता है, लेकिन जब प्रॉजेक्ट वर्षों तक अटका रह जाए तो होम बायर्स के लिए परेशानी खड़ी हो जाती है।

राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग (नैशनल कन्ज्यूमर कमीशन) ने इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए कहा है कि अगर फ्लैट आवंटित करने में 'अतार्किक' अवधि तक देरी तो बिल्डर्स 5 रुपये वाले प्रावधान की आड़ लेकर बच नहीं सकते। ऐसी स्थिति में होम बायर्स हर्जाने की रकम बढ़ाने की मांग कर सकते हैं। तब बायर को पजेशन देने के बाद हर्जाना देना होगा या अगर बायर भुगतान की हुई रकम वापस चाहता है तो उसे हर्जाने के साथ पूरी रकम वापस करनी होगी।

क्या कहा आयोग ने?
आयोग ने फ्लैट आवंटन में 36 महीने की देरी पर एम्मार एमजीएफ को आदेश दिया कि वह 5 लाख रुपये के हर्जाने के साथ बायर को उसकी पूरी रकम वापस करे। एनसीडीआरसी ने कहा, 'फ्लैट देने में अनाप-शनाप या अनिश्चितकालीन देरी नहीं की जा सकती है। हां, कुछ वक्त के लिए फ्लैट आवंटन की प्रक्रिया टल जाए तो समझा सकता है।'

लेटलतीफी का होम बायर्स पर असर
प्रॉजेक्ट लटकने की बढ़ती समस्या से रीयल एस्टेट मार्केट का मिजाज भी बिगड़ गया है। एक सर्वे के मुताबिक, सिर्फ 5 प्रतिशत संभावित घर खरीदारी ही नए प्रॉजेक्ट में पैसे लगाने को तैयार हैं जबकि 49 प्रतिशत लोग बना-बनाया (रेडी टु मूव) मकान खरीदना चाहते हैं। वहीं, 46 प्रतिशत लोग उन प्रॉजेक्ट्स में भी मकान खरीदने की हिम्मत कर रहे हैं जो एक साल के अंदर पूरा हो जाए।  For Contact Fill The Form. 

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